तुला लग्न सूर्य 12 भाव में और उसका फल jyotish kirpa


तुला लग्न सूर्य 12 भाव में और उसका फल सूर्य पराक्रम नेटवर्क पिता अग्नि तेज आत्मबल प्रशासन एवं आरोग्यता का कारक माना जाता है इसके अतिरिक्त 1, 9, 10, वे भाव का भी कारक गणेश होने से और भी महत्त्व हो जाता है प्रथम भाव में शत्रु एवं नीच राशि तुला का सूर्य होने से जातक साहसी परंतु शीघ्र क्रोधित हो जाने वाला प्रारंभिक अवस्था में दुर्बल शरीर मित्र विकास भ्रमणशील ईर्ष्यालु झगड़ालू कभी अनैतिक कार्यों से धन कमाने वाले कारण तथा कभी-कभी मदिरा पीने वाला कामुक प्रवृत्ति पर विचार अशांत मन सिर पर चोट आदि का भय हो काला एवं कला एवं संगीत प्रेमी और शास्त्रीय विषयों में रुचि रखने वाला कारण परेशान एवं संस्थान की ओर से चिंतित हूं तुला राशि में सूर्य हो तो जातक की काठी काठी भी करवा लेनी चाहिए अन्यथा परिवार एवं विभाग संबंधी परेशानियां में विलम होता है यहां से की सप्तम भाव पर दृष्टि होने से स्त्री पक्ष से लाभ की भी संभावना होती है यदि लग्न पर गुरु आदि शुभ ग्रह का योगदान दृष्टि हो तो उपरोक्त अशोक पाल में कमी होगी तथा ज्यादा वाहन संस्थान तुम्हें गिफ्ट होगा दूसरे मैं सूर्य वृश्चिक राशि में सूर्य होने से जातक भाग्यशाली निर्वाह योग्यजन आधी साधनों से युक्त भ्राता सुख में कमी प्रशासनिक कार्यों सरकारी क्षेत्र अथवा विभिन्न स्त्रोतों से अधिकार प्राप्त करने वाला कल आयुक्त अशोक घरेलू परिस्थितियों वाला कुछ कटु वाणी एवं विकास आयुक्त अटक अटक अटक कर बोलता है युद्ध हो तो ऐसा वाली धनवान तथा जातक मेडिकल चिकित्सा वकालत आदि के क्षेत्र में सफलता के योग होते हैं तीसरे भाव में सूर्य बुध ग्रह की धनु राशि में सूर्य होने से जातक कुशाग्र बुद्धि पराक्रमी धनवान अपने पुरुषार्थ के बल में धन लाभ एवं वाहन सुख आदि के साधनों से युक्त फेसबुक में कमी परंतु ज्यादा अपने प्रियजनों एवं अन्य को सुख देने का प्रदान करता है जातक लेखन चिकित्सा प्रकाशन अध्यात्म ज्योतिष एवं वकालत आदि व्यवसाय में सफलता होता है ज्यादा परोपकारी धार्मिक एवं तीर्थ यात्रा करने वाला होता है डिस्ट्रिक्ट होता है उसे देश-विदेशों में ब्राह्मण अक्सर प्राप्त होते हैं चौथे भाव में सूर्य चौथे भाव में शत्रु राशि मकर पर सूर्य के प्रभाव के जातक को माता सुख में कमी होती है विद्या मकान एवं वाहन अधिकृत सुखों की प्राप्ति में विघ्न बाधाओं के पश्चात ही होती है परिवारिक सुख में भी कुछ कमी रहती है व्यर्थ के विवादों में पढ़ने की प्रकृति अशांत मन ऐसा व्यक्ति जीवन में लाभ वह उन्नति धीरे धीरे करता है यहां यहां सूर्य यदि गुरु मंगल बुध शुक्र अधिक ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो तो जातक को भूमि मकान अच्छी शिक्षा आदि सुखों की प्राप्ति होती है यदि राहु आधी अशुभ ग्रहों से युक्त जा दृष्ट हो तो जातक को निकट बंधुओं से सुख में कमी होती है पांचवे भाव में सूर्य शत्रु ग्रह की राशि कुंभ पर सूर्य के प्रभाव से जातक कुशाग्र बुद्धिमान किंतु सत्य एवं शीघ्र उत्तेजित होने वाला अधिक संघर्ष के बाद भी निर्वाह योग्य आय के साधन बने अनायास धन लाभ की भी संभावना उच्च प्रतिष्ठित मित्रों से युक्त ज्योतिष एवं जनवादी गुरुर्विष्णु में रुचि होती है विद्या में भी संघर्ष के पश्चात् सफलता हो संतान संबंधी परेशानी और संतान सुख आठवां पुत्र कम बैक कन्याए अधिक होने के योग हमें सूर्य पर किसी अन्य ग्रह शनि राहु ग्रहों का योगदान दृष्टि हो तो गर्भपात की संभावना करता है इसके अतिरिक्त विद्या प्राप्ति में रुकावट असफलता तथा पिता को कष्ट करें या हृदय संबंधी रोग होने की भी संभावना होती हैं छठे भाव में सूर्य छठे भाव में नींद पर स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक परिश्रमी उच्च शिक्षित प्रतिष्ठित अपने कार्य व्यवसाय में कुशल स्वाभिमानी अपने उद्यम द्वारा एवं गुप्त व्यक्तियों द्वारा धन लाभ प्राप्त करने वाला भाई बंधुओं का हितैषी शत्रु पर विजय पाने वाला बाहरी संबंधों से आए के साधनों में वृद्धि पाने वाला परंतु सूर्य की द्वादश भाव पर दृष्टि होने से भी अधिक रहेगा छठे भाव सूर्य पर यदि गुरु की दृष्टि हो तो जातक चिकित्सा क्षेत्र में अच्छी सफलता प्राप्त कर सकता है यदि राहु शनि केतु आदि की दृष्टि हो तो धन हानि या रोगों का भय बना रहता है सप्तम भाव में सूर्य मित्र ग्रह मंगल की उच्च राशि मेष पर स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक कुछ अभिलाषी विद्या प्राप्त बुद्धिमान धनी ईमानदार किसी प्रतिष्ठित संस्थान या सरकारी क्षेत्र से लाभ प्राप्त करने वाला होता है सप्तम भाव में सूर्य प्राय विवाह में विलंब कारी होता है बता फिर से ऐसा जातक परिस्थिति में भी आ सकता है यदि सप्तमेश मंगल उच्च राशि या अपनी राशि मंगल की दृष्टि हो तो जातक के विवाह उपरांत विशेष भाग्य उन्नति होती है कार्यरत लड़की से विवाह होता है अष्टम भाव में सूर्य अष्टम भाव में सूर्य शत्रु शुक्र की वृष राशि पर सूर्य के प्रभाव से जातक परिश्रमी तथा व्यवसाय में अत्यंत संघर्षशील नेत्ररोग माता पिता व भाई बंधुओं के संबंध में चिंतित असंतुष्ट मैं परेशान होता है कठिन परिश्रम द्वारा ही निर्भर योग्य धन प्राप्ति के साधन बन पाते हैं यदि सूर्य पर किसी जानती हो तो पिक सुख में कमी होती है यदि चंद्र बुध या मंगल आदि ग्रहों का योग या दृष्टि हो तो पैतृक सुख में कमी होती है यदि चंद्र बुध जा मंगल आदि ग्रहों का योग याद दृष्टि हो तो जातक व्यवसाय में 32 वर्ष के पश्चात आप उन्नति करता है विदेशी संबंधों द्वारा भी धनार्जन करता है परंतु ऐसा जातक विशेष संघर्ष याञा कठिनाइयों के पश्चात ही सफलता प्राप्त करता है

नवम भाव में सूर्य का फल नवंबर में मित्र ग्रह की मिथुन राशि पर सूर्य होने से जातक बुद्धिमान और शिक्षित परोपकारी परिश्रमी वह धार्मिक विचारों वाला एवं भाग्यवान होता है यदि अशुभ संयुक्त जागृत हो तो पितृ सुख में कमी होती है भाई बंधुओं के सुख में सुख से युक्त तथा अपने पुरुषार्थ के बल पर धन वारी कुटुंब एवं पुत्र आदि सुखों को प्राप्त कर लेता है धर्म मंत्र नीति एवं ज्योतिष आदि गुड शास्त्रों का भी जानकार होता है इस भाव पर बुध शनि चंद्र मंगल अधिग्रहण में से किसी ग्रह का योग अथवा दृष्टि संबंध हो जातक ज्योतिष लेखन प्रकाशन क्रय विक्रय विदेशी संबंधों एवं सरकारी क्षेत्रों से लाभ प्राप्त करता है दशम भाव में सूर्य. सूर्य दशम भाव मैं चंद्रमा की कर्क राशि पर सूर्य होने से जातक बुद्धिमान भाग्यवान सुशिक्षित पराक्रमी विद्वान उदार हृदय लोकमान्य एवं अपने व्यवसाय मैं कुशल होता है यदि सूर्य के साथ में मंगल बुध शुक्र आदि ग्रहों का संबंध हो तो जातक उच्चस्तरीय व्यवसाय से संबंध भूमि ट्रेडिंग आदि द्वारा समुचित धनार्जन करने वाला कला संगीत प्रिय भूमि जायदाद सवारी संतान आदि सुख साधनों से युक्त होगा ऐसे जातक के उच्च प्रतिष्ठित लोगों के साथ संबंध में रहते हैं यदि दशम में सूर्य के साथ चंद्र कर योग्य मंगल की दृष्टि हो तो डॉ उच्च राज्य अधिकारी अफसर चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रोग्राम एकादश भाव एकादश भाव में सूर्य ग्रहण सिंह राशि पर सूर्य होने से जातक समझदार भूमि मकान वाहन संतान आदि सुखों से युक्त आकर्षक व्यक्तित्व विचारशील माता पिता की सहायता से लाभ व उन्नति प्राप्त करने वाला उच्चस्तरीय जीवन बिताने वाला उच्च काशी सूर्य के साथ शुक्र बुध का वियोग हो तो विशेष धनी एवं साधन संपन्न होता है यदि सूर्य शनि द्वारा दृष्ट हो तो फिर हृदय रोग जा आघात का भी भय रहता है द्वादश भाव में सूर्य तुला लग्न में द्वादश भाव में मित्र ग्रह बुध की कन्या राशि पर सूर्य होने से जातक बुद्धिमान स्वाभिमानी का होता है ब्राह्मण शिविर नेत्र कश्ती एकांतप्रिय पतला शरीर अपने जन्म स्थान से दूर रहने वाला अधिक डरने वाला व्यवसायं के क्षेत्र में विदेशी आदि में संघर्षशील होता है यदि चंद्र शुक्र बुध का हो तो जातक महात्मा तीव्र बुद्धिमान सब संकट शांति से रहने वाला सत्कर्म आध्यात्मिक प्रगति एवं सूक्ष्म विचारपूर्वक काम करने वाला होता है उदाहरण स्वरूप देखें
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