तलाक क्यो तलाक होने के पीछे ज्योतिषी कारण


तलाक - ज्योतिषीय कारण
वर्तमान समय में जब स्त्री-पुरुष कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हों वहाँ अब तलाक शब्द ज्यादा सुनाई देने लगा है.
इसका एक कारण सहनशीलता का अभाव भी है. इस भाग-दौड़ भरी
जिन्दगी में सभी मशीन बन गये हैं. काम की अधिकता ने सहनशक्ति में भी कमी कर दी है. लड़कियाँ अपने पैरों पर खड़े होने लगी है और उन्हें भी लगता है कि वह आजीविका में बराबर की हिस्सेदार है तो वह अपने साथी के सामने क्यूँ झुके ! हालांकि यह एक तरह से अहंकार है और
कुछ नहीं.
बहुत बार पुरुष की मनमानी से तंग होकर घर में क्लेश बढ़ जाते हैं.
बहुत से कारण बन जाते हैं तलाक के। जिन्हें अलग रहना हो वह कोई ना कोई बहाना ढूंढ ही लेता है।
तलाक के कारणों का आज हम ज्योतिषीय आधार पर विश्लेषण करने का प्रयास करते हैं। कुंडली में ऎसे कौन से योग हैं जिनके आधार व्यक्ति का तलाक हो जाता है या किन कारणो से पति-पत्नी एक-दूसरे से अलग रहना आरंभ कर देते हैं।
●1.-जन्म कुंडली में लग्न व चंद्रमा से सप्तम भाव के स्वामी ग्रह, शुक्र ग्रह की स्थिति से प्रतिकूल स्थिति में स्थित हों।
●2.-कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो या छठे भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में हो तब यह अदालती तलाक दर्शाता है अर्थात पति-पत्नी का तलाक कोर्ट केस के माध्यम से होगा।
●3.-बारहवें भाव के स्वामी की चतुर्थ भाव के स्वामी से युति हो रही हो और चतुर्थेश कुंडली के छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो तब पति-पत्नी का अलगाव हो जाता है।
●4.-अलगाव देने वाले ग्रह शनि, सूर्य तथा राहु का सातवें भाव, सप्तमेश और शुक्र पर प्रभाव पड़ रहा हो या सातवें व आठवें
भावों पर एक साथ प्रभाव पड़ रहा हो।
●5.-जन्म कुंडली में सप्तमेश की युति द्वादशेश के साथ सातवें भाव या बारहवें भाव में हो रही हो।
●6.-सप्तमेश व द्वादशेश का आपस में राशि परिवर्तन हो रहा हो और इनमें से किसी की भी युति राहु के साथ हो रही हो।
●7.-सप्तमेश व द्वादशेश जन्म कुंडली के दशम भाव में राहु/केतु के साथ स्थित हों।
●8.-जन्म लग्न में मंगल या शनि की राशि हो और उसमें शुक्र लग्न में ही स्थित हो, सातवें भाव में सूर्य, शनि या राहु स्थित हो तब भी अलगाव की संभावना बनती है।
●9.-जन्म कुंडली में शनि या शुक्र के साथ राहु लग्न में स्थित हो।
●10.-जन्म कुंडली में सूर्य, राहु, शनि व
द्वादशेश चतुर्थ भाव में स्थित हो।
●11.-जन्म कुंडली में शुक्र आर्द्रा, मूल, कृत्तिका या ज्येष्ठा नक्षत्र में स्थित हो तब भी दांपत्य जीवन में अलगाव के योग बनते हैं।
●12.-कुंडली के लग्न या सातवें भाव में राहु व शनि स्थित हो और चतुर्थ भाव अत्यधिक पीड़ित हो या अशुभ प्रभाव में हो तब तब भी अलग होने के योग बनते हैं।
●13.-शुक्र से छठे, आठवें या बारहवें भाव में पापी ग्रह स्थित हों और कुंडली का चतुर्थ भाव पीड़ित अवस्था में हो।
●14.-षष्ठेश एक अलगाववादी ग्रह हो और वह दूसरे, चतुर्थ, सप्तम व बारहवें भाव में स्थित हो तब भी अलगाव होने की संभावना बनती है।
●15.-जन्म कुंडली में लग्नेश व सप्तमेश षडाष्टक अथवा द्विद्वार्दश स्थितियों में हों तब पति-पत्नी के अलग होने की संभावना बनती है।
*प्रस्तुति-
*आचार्य अमिय पाण्डेय "ज्योतिषविद्"
"आध्यात्मिक ज्योतिष केंद्र"
फ़ॉर कॉल- 8873836550
[ज्योतिष से सम्बंधित किसी भी समस्या के सशुल्क समाधान के लिये कॉल कर सकते हैं। बस याद रखें, हम आपका "भाग्य" नहीं, आपके "कर्म" की दिशा और दशा बदलते हैं। निःशुल्क सेवा के लिये फोन ना करें।]
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