: राहू का जन्म नक्षत्र भरणी और केतू का जन्म नक्षत्र आश्लेषा हैं। राहू के जन्म नक्षत्र भ्ारणी के देवता काल और केतु के जन्म नक्षत्र आश्लेषा के देवता सूर्य हे
राहु -केतु के जो फलित परिणाम मिलते हैं, उनको राहु केतु के नक्षत्र देवों मे नामों से जोडकर कालसर्प योग कहा जायेगा
राहु जिस स्थान में जिस ग्रह के योग में होगा, उसका व शनि का फल देता है । शनि आध्यात्मिक चिंतन, विचार, गणित के साथ आगे बढने के गुण अपने पास रखता है। यही बात राहु की है।
राहु का योग जिस ग्रह के साथ है वह किस स्थान का स्वामी है यह भी अवश्य देखना चाहिए। राहु मिथुन राशि में उच्च, धनु राशि में नींच और कन्या राशि में स्वागृही होता है राहू के मित्र ग्रह-शनि, बुध और शुक्र है। रवि-शनि, राहु इसके शत्रु ग्रह है। चन्द्र, बुध, गुरु उसके समग्रह है । कालसर्प योग जिस व्यक्ती के जन्मांग में है, ऐसे व्याक्ति को अपने जीवन में बहुत कष्ट झेलना पडता है । इच्छित फल प्राप्ति और कार्यो में बाधाएं आती है। बहुत ही मानसिक, शारीरीक एवं आर्थिक रुप से परेशान रहता है।
[:
राहू+सूय॔ =सूय॔ ग्रहण होगा।
●अगर बच्चे की कुण्डली मे ऐसा योग है तो पिता के कामकाज, सेहत और मान-सममान पर बुरा असर पड़ेगा।
●पिता और पुत्र के सुखो में कमी के हालात बनाता।
●गुस्सा बहुत ज्यादा बढ़ाता।
●बार-बार सेहत से संबंधित परेशानिया देगा।
●बार-बार मान-सममान खराब करता।
●काम-काज से संबधित परेशानिया।
●सरकार कीतरफ से परेशानिया, जैसे कि कोर्ट-केस होना।
●सरकारी नौकरी लगने मे बाधाए आना।
● मूंह से बार-बार थूक आना।
■उपाय
●पूर्व की तरह मूह करके पूजापाठ ना करे।
●जिस घर का सूर्य ग्रहण हो उतने ग्राम जौ लेकर उनपर दूध या गौमूत्र का छीटा लगाकर सिर से 7 बार घुमाकर चलते पानी मे जलप्रवाह करे, जैसे दोनो ग्रह पहले घर मे हो तो 100 ग्राम, दूसरे घर मे हो तो 200 ग्राम जौ ले।
●नीला रंग कभी ना पहने।
[
सूर्य + राहु
राहु जिस स्थान में जिस ग्रह के योग में होगा, उसका व शनि का फल देता है । शनि आध्यात्मिक चिंतन, विचार, गणित के साथ आगे बढने के गुण अपने पास रखता है। यही बात राहु की है।
राहु का योग जिस ग्रह के साथ है वह किस स्थान का स्वामी है यह भी अवश्य देखना चाहिए। राहु मिथुन राशि में उच्च, धनु राशि में नींच और कन्या राशि में स्वागृही होता है राहू के मित्र ग्रह-शनि, बुध और शुक्र है। रवि-शनि, राहु इसके शत्रु ग्रह है। चन्द्र, बुध, गुरु उसके समग्रह है । कालसर्प योग जिस व्यक्ती के जन्मांग में है, ऐसे व्याक्ति को अपने जीवन में बहुत कष्ट झेलना पडता है । इच्छित फल प्राप्ति और कार्यो में बाधाएं आती है। बहुत ही मानसिक, शारीरीक एवं आर्थिक रुप से परेशान रहता है।
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राहू+सूय॔ =सूय॔ ग्रहण होगा।
●अगर बच्चे की कुण्डली मे ऐसा योग है तो पिता के कामकाज, सेहत और मान-सममान पर बुरा असर पड़ेगा।
●पिता और पुत्र के सुखो में कमी के हालात बनाता।
●गुस्सा बहुत ज्यादा बढ़ाता।
●बार-बार सेहत से संबंधित परेशानिया देगा।
●बार-बार मान-सममान खराब करता।
●काम-काज से संबधित परेशानिया।
●सरकार कीतरफ से परेशानिया, जैसे कि कोर्ट-केस होना।
●सरकारी नौकरी लगने मे बाधाए आना।
● मूंह से बार-बार थूक आना।
■उपाय
●पूर्व की तरह मूह करके पूजापाठ ना करे।
●जिस घर का सूर्य ग्रहण हो उतने ग्राम जौ लेकर उनपर दूध या गौमूत्र का छीटा लगाकर सिर से 7 बार घुमाकर चलते पानी मे जलप्रवाह करे, जैसे दोनो ग्रह पहले घर मे हो तो 100 ग्राम, दूसरे घर मे हो तो 200 ग्राम जौ ले।
●नीला रंग कभी ना पहने।
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सूर्य + राहु
सूर्य और राहु दो ऐसे ग्रह हैं जो जो एक दूसरे से विपरीत होते हुये भी अनेक प्रकार से समान भी है। दोनों ही ग्रह विग्रहकारी क्रूर ग्रह, दार्शनिकता और राजनीति के कारक भी हैं।
[ राहु सूर्य: यदि राहु और सूर्य की युति कुंडली में है तो जीवन में पिता का सुख नहीं मिलेगा, पुत्र सुख में भी कमी होगी प्रसिद्धि व प्रतिष्ठा की प्राप्ति नहीं होगी, व्यक्ति का आत्मविश्वास डांवाडोल रहेगा, तथा भला करने पर भी भलाई नहीं मिलेगी अर्थात यश नहीं मिलेगा।
इस योग पिता पुत्र के वैचारिक मतभेद मिलते है
पर
एक दूसरे का मान पीठ पीछे करते मिले है।
सूर्य राहु अगर साथ है अंशों से भी ग्रहण लगा है
तो जातक के
पिता जिद्दी होते है।
उनका कहा ही अंतिम होता है ऐसा वो मानते है।
जातक के पिता अहमयुक्त ,अहंकारी,दंभी,और शक्की होते है।
इनको आगे बढ़ने का बहुत चांस मिलता है पर ये अपनी थाली किसी और के सामने रख देते है
उस समय उस कार्य को बहुत छोटा मानते है।
सूर्य राहु की अंशात्मक रूप से लग्न कुंडली और नवांश में बनने वाली युति ...
जिस भाव में बनेगी उस भाव से सम्बंधित फलो का नाश करती है ....!
साथ ही सूर्य जिस भाव का कारक है उस भाव से सम्बंधित हानि भी करती है ...!
[कुंडली में इन दोनों ग्रहों की युति को सामान्यतः शुभ नहीं कहा जा सकता। सूर्य और राहु की युति ग्रहण योग का निर्माण करती है। कुंडली के जिस भाव में यह योग बनता है, उस भाव से संबंधित शुभ फलों में न्यूनता देता है। ऐसा जातक जिसकी कुंडली में सूर्य$राहु की युति हो वह सफल राजनेता भी होता है। मुख्यतया यह योग यदि नवम, दशम एवं एकादश भावों में हो तो राजनीति कारक भी होता है क्योंकि ये दोनों ग्रह राजनीति, प्रभुत्व एवं सत्ता के कारक ग्रह भी हैं। अतः जब कभी कुंडली में स्थित इन ग्रहों का संबंध गोचर में लाभ भाव अर्थात एकादश भाव में बनेगा तो राजनीति में सफलता देकर जातक का वर्चस्व स्थापित करेगा।
[ 👉🏿सूर्य और राहु की युति ⬛️
[ राहु सूर्य: यदि राहु और सूर्य की युति कुंडली में है तो जीवन में पिता का सुख नहीं मिलेगा, पुत्र सुख में भी कमी होगी प्रसिद्धि व प्रतिष्ठा की प्राप्ति नहीं होगी, व्यक्ति का आत्मविश्वास डांवाडोल रहेगा, तथा भला करने पर भी भलाई नहीं मिलेगी अर्थात यश नहीं मिलेगा।
इस योग पिता पुत्र के वैचारिक मतभेद मिलते है
पर
एक दूसरे का मान पीठ पीछे करते मिले है।
सूर्य राहु अगर साथ है अंशों से भी ग्रहण लगा है
तो जातक के
पिता जिद्दी होते है।
उनका कहा ही अंतिम होता है ऐसा वो मानते है।
जातक के पिता अहमयुक्त ,अहंकारी,दंभी,और शक्की होते है।
इनको आगे बढ़ने का बहुत चांस मिलता है पर ये अपनी थाली किसी और के सामने रख देते है
उस समय उस कार्य को बहुत छोटा मानते है।
सूर्य राहु की अंशात्मक रूप से लग्न कुंडली और नवांश में बनने वाली युति ...
जिस भाव में बनेगी उस भाव से सम्बंधित फलो का नाश करती है ....!
साथ ही सूर्य जिस भाव का कारक है उस भाव से सम्बंधित हानि भी करती है ...!
[कुंडली में इन दोनों ग्रहों की युति को सामान्यतः शुभ नहीं कहा जा सकता। सूर्य और राहु की युति ग्रहण योग का निर्माण करती है। कुंडली के जिस भाव में यह योग बनता है, उस भाव से संबंधित शुभ फलों में न्यूनता देता है। ऐसा जातक जिसकी कुंडली में सूर्य$राहु की युति हो वह सफल राजनेता भी होता है। मुख्यतया यह योग यदि नवम, दशम एवं एकादश भावों में हो तो राजनीति कारक भी होता है क्योंकि ये दोनों ग्रह राजनीति, प्रभुत्व एवं सत्ता के कारक ग्रह भी हैं। अतः जब कभी कुंडली में स्थित इन ग्रहों का संबंध गोचर में लाभ भाव अर्थात एकादश भाव में बनेगा तो राजनीति में सफलता देकर जातक का वर्चस्व स्थापित करेगा।
[ 👉🏿सूर्य और राहु की युति ⬛️
👉🏿ग्रहण योग का निर्माण करती है। कुंडली के जिस भाव में यह योग बनता है, उस भाव से संबंधित शुभ फलों में न्यूनता देता है।
👉🏿ऐसा जातक जिसकी कुंडली में सूर्य राहु की युति हो वह सफल राजनेता भी होता है।
👉🏿मुख्यतया यह योग यदि नवम, दशम एवं एकादश भावों में हो तो राजनीति कारक भी होता है क्योंकि ये दोनों ग्रह राजनीति, प्रभुत्व एवं सत्ता के कारक ग्रह भी हैं। अतः जब कभी कुंडली में स्थित इन ग्रहों का संबंध गोचर में लाभ भाव अर्थात एकादश भाव में बनेगा तो राजनीति में सफलता देकर जातक का वर्चस्व स्थापित करेगा।
राहू+सूय॔ =सूय॔ ग्रहण होगा।
●अगर बच्चे की कुण्डली मे ऐसा योग है तो पिता के कामकाज, सेहत और मान-सममान पर बुरा असर पड़ेगा।
●पिता और पुत्र के सुखो में कमी के हालात बनाता।
●गुस्सा बहुत ज्यादा बढ़ाता।
●बार-बार सेहत से संबंधित परेशानिया देगा।
●बार-बार मान-सममान खराब करता।
●काम-काज से संबधित परेशानिया।
●सरकार कीतरफ से परेशानिया, जैसे कि कोर्ट-केस होना।
●सरकारी नौकरी लगने मे बाधाए आना।
● मूंह से बार-बार थूक आना।
■उपाय
●पूर्व की तरह मूह करके पूजापाठ ना करे।
●जिस घर का सूर्य ग्रहण हो उतने ग्राम जौ लेकर उनपर दूध या गौमूत्र का छीटा लगाकर सिर से 7 बार घुमाकर चलते पानी मे जलप्रवाह करे, जैसे दोनो ग्रह पहले घर मे हो तो 100 ग्राम, दूसरे घर मे हो तो 200 ग्राम जौ ले। इस प्रकार
●अगर बच्चे की कुण्डली मे ऐसा योग है तो पिता के कामकाज, सेहत और मान-सममान पर बुरा असर पड़ेगा।
●पिता और पुत्र के सुखो में कमी के हालात बनाता।
●गुस्सा बहुत ज्यादा बढ़ाता।
●बार-बार सेहत से संबंधित परेशानिया देगा।
●बार-बार मान-सममान खराब करता।
●काम-काज से संबधित परेशानिया।
●सरकार कीतरफ से परेशानिया, जैसे कि कोर्ट-केस होना।
●सरकारी नौकरी लगने मे बाधाए आना।
● मूंह से बार-बार थूक आना।
■उपाय
●पूर्व की तरह मूह करके पूजापाठ ना करे।
●जिस घर का सूर्य ग्रहण हो उतने ग्राम जौ लेकर उनपर दूध या गौमूत्र का छीटा लगाकर सिर से 7 बार घुमाकर चलते पानी मे जलप्रवाह करे, जैसे दोनो ग्रह पहले घर मे हो तो 100 ग्राम, दूसरे घर मे हो तो 200 ग्राम जौ ले। इस प्रकार
●नीला रंग कभी ना पहने।
[सूर्य के साथ युति करने से यह सूर्य के तेज को अपनी छायावादी प्रकृति से ढकने की कोशिष करता है किन्तु यहां पर सूर्य के अंशो का तथा राहु के अंशौं का अवलोकन जरुरी होगा तभी हम कह सकते है कि ग्हण दोष है . .ग्रह की ये युति अगर लग्न मे बने तो स्वस्थ्य सम्बन्धित परेशानी तथा व्यवहार कुशल मे अजीब सा बर्ताव जातक करेगा . .द्वितीय भाव मे कर्ण रोग वाणी दोष धन की कमी इसी प्रकार आगे सभी भाव भावेशों के आधार पर यह फल कथन चलेगा . . नवम भाव मे यदि एसी युति बने तो इसे पित्रदोष मनाम से जाना जाता है . . . .🙏🌹🙏🌹🙏
[ सूर्य राजा हे व् राहु चोर दोनों एक साथ एक घर में , दोनों शत्रु हे
राहु सूर्य के साथ होने का पूरा फायदा उठाएगा।वो अपने को राजा समझने लगेगा तो ईगो को बढ़ाएगा ।
गिरगिट की तरह रंग बदलेगा।
एक तरफ तो ये कॉन्फिडेंस से भरपूर होगा और अपने को genious samjega और चाहेगा सब उसका सम्मान करे ।
वाही राहु जो की सेक्रेटिव हे वह हेरा फेरी करेगा व् लोगो से छिपायेगा ।
ऐसा इसलिये क्योंकि राहु सूर्य की positivity को बदल कर उसको दूषित करेगा । बाहर से देखने में कुछ और व् भीतर कुछ और होगा।
अगर सूर्य उच्च का हो या स्व राशि का हो तो राहु का प्रभाव कम होगा
सूर्य अपने प्रभाब को कायम रखेगा काफी हद तलाक
लग्न (१) भाव में सूर्य+राहू की युती दाम्पत्य जीवन में बाधा डालते है।
[सप्तम भाव पर सूर्य, राहू का प्रभाव जातक को अपने पत्नी/पति से अलग करते है। अथवा तलाक करवा देते है।
[सूर्य के साथ युति करने से यह सूर्य के तेज को अपनी छायावादी प्रकृति से ढकने की कोशिष करता है किन्तु यहां पर सूर्य के अंशो का तथा राहु के अंशौं का अवलोकन जरुरी होगा तभी हम कह सकते है कि ग्हण दोष है . .ग्रह की ये युति अगर लग्न मे बने तो स्वस्थ्य सम्बन्धित परेशानी तथा व्यवहार कुशल मे अजीब सा बर्ताव जातक करेगा . .द्वितीय भाव मे कर्ण रोग वाणी दोष धन की कमी इसी प्रकार आगे सभी भाव भावेशों के आधार पर यह फल कथन चलेगा . . नवम भाव मे यदि एसी युति बने तो इसे पित्रदोष मनाम से जाना जाता है . . . .🙏🌹🙏🌹🙏
[ सूर्य राजा हे व् राहु चोर दोनों एक साथ एक घर में , दोनों शत्रु हे
राहु सूर्य के साथ होने का पूरा फायदा उठाएगा।वो अपने को राजा समझने लगेगा तो ईगो को बढ़ाएगा ।
गिरगिट की तरह रंग बदलेगा।
एक तरफ तो ये कॉन्फिडेंस से भरपूर होगा और अपने को genious samjega और चाहेगा सब उसका सम्मान करे ।
वाही राहु जो की सेक्रेटिव हे वह हेरा फेरी करेगा व् लोगो से छिपायेगा ।
ऐसा इसलिये क्योंकि राहु सूर्य की positivity को बदल कर उसको दूषित करेगा । बाहर से देखने में कुछ और व् भीतर कुछ और होगा।
अगर सूर्य उच्च का हो या स्व राशि का हो तो राहु का प्रभाव कम होगा
सूर्य अपने प्रभाब को कायम रखेगा काफी हद तलाक
लग्न (१) भाव में सूर्य+राहू की युती दाम्पत्य जीवन में बाधा डालते है।
[सप्तम भाव पर सूर्य, राहू का प्रभाव जातक को अपने पत्नी/पति से अलग करते है। अथवा तलाक करवा देते है।
राहु के पास कोई फिजिक नही है। बो आँखों से देखे जाएँ सूर्य चन्द्र की तरह ऐसा सम्भव नहीं क्यूंकि राहु देव आकाश मण्डल में अन्य सात ग्रहों की तरह उपस्थिती नहीं रखते राहु का कैसा भी स्वरूप नहीं है बो तो एक एनर्जी है जिसे ग्रेविटी कहते हैं। ग्रेविटी के विषय में ज्यादातर लोगों को मालूम होगा की वह क्या है। जिन लोगों को नहीं पता उनके लिए में बता देता हूँ। धरती पर जो भी जीव जन्तु इंसान पेड़ पौधे इमारतें आदि हैं। ईए सब ग्रेविटी के कारण ही धरती पर खड़ी हैं। और ऊपर फेंकने के बाबजूद धरती पर ही गिरती हैं । मतलब राहु के प्रभाब के बिना धरती पर जीवन सम्भव नहीं। तो एस्ट्रोलॉजी के आधार पर देखें तो राहु एक बहुत ही बड़ी शक्ति हैं।
राहु के विषय में जियोतिष में एक बात प्रचलित है की जिसे राहु तारे उसे कौन मारे और जिसे राहु मारे उसे कौन तारे। कारण भी हैं क्यूंकि जब किसी व्यकित की कुंडली में राहु अच्छे हों तो अच्छे सूर्य जैसे फ़ल देते हैं। और जब राहु बुराई पर आ जाएँ तो जीते जी ही नर्क से भी बुरे हालात बना देते हैं।
राहु देव के लिए कुंडली में घर 3 और घर6 ही अच्छे कहे गए हैं। जब किसी कुंडली में राहु के साथ मंगल हों तो भी राहु काबू में रहता है।या मंगल घर 12 खुले आकाश में हों तो भी राहु बुरा नहीं कर पाता कारण राहु को हाथी और मंगल को महावत कहा जाता है। महावत हाथी को काबू में रखता है।
इसके आलावा राहु घर 4 चन्द्र के पक्के घर में भी ज्यादा बुरे नही होते किउंकि घर 4 के मालिक चन्द्र को सभी ग्रहों की माता माना जाता है ।तो राहु माँ के घर 4 में खुद तो ज्यादा बुरे नही होते पर घर 4 से सम्बंधित मन और घर की शांति भंग कर देते हैं। माँ के जीवन में किच किच का माहौल बन जाता है।माँ की फिजिक में भी परेशानी या दर्द रहता हैं।
अब में राहु अच्छे हों तो क्या सुख मिलेंगे बताता हूँ। अच्छे राहु बाला व्यकित बड़े से बड़े काम को आसानी से पूरा करता है।किसी भी फसे हुए काम को आसानी से चुटकी में ही हल कर देगा।
बोलने चालने में हाजिर जबाब होगा। अच्छा ओहदा होगा। सरकार में और सरकारी अधिकारियो से अच्छा सम्बन्ध होगा। उसकी सलाह ले के काम किया जाये तो सफलता मिलेगी। उसको घर परिवार रुपया पैसा प्रॉपर्टी के सम्बन्ध में कोई परेशानी नहीं होगी। इज्जत मान सम्मान पूरा। क्यूंकि अच्छा राहु सूर्य का ही दूसरा रूप है।
राहु बुरे हों तो कोई सुख नहीं।घर परिवार में नित नई परेशानी खड़ी रहती है। छलावा पीछा करता रहता है।अकस्मात परेशानी एक्सिडेंट होते हैं। झूठे इल्जाम लगते हैं। बीमारी पकड़ लेती है बो भी ऐसी की डॉक्टर को आसानी से पकड़ में ना आये। पढ़ाई लिखाई का फायदा नहीं मिलता। घर के बुजर्ग खुद परेशानी में और आम बच्चों को भी बुजुर्गों का सुख या उनसे पैसा प्रॉपर्टी नहीं मिलती।
इसा व्यकित खुद अपने कर्मों से अपने लिए परेशानी खड़ी करता है और अपने को समझदार भी समझता है। ऐसे व्यकित का समाज में मान सम्मान नस्ट हो जाता है।
[: जब किसी की जन्म कुंडली में सूर्य देव के साथ राहु एक ही घर में बैठ जाएँ या राहू की दृष्टि सूर्य देव के ऊपर पड़ रही हो तो सूर्य ग्रहण नाम का बुरा योग बन जाता है।
इस बुरे योग के कारण व्यकित को बहुत सी परेसानियों से दो चार होना पड़ता है।
जैसे जातक का मन किसी भी काम में लंबे समय तक नहीं लगता। इरिटेशन फीलिंग चिढ़ चिड़ा सवभाव हो जाना। कोई भी काम टिक के ना कर पाना। पढ़ाई लिखाई में मन ना लगना।
काम काज या नौकरी का बार बार बदलना।
उसके पिता को भी अपनी मेहनत का पूरा फल नहीं मिलता। पिता के जीवन काल में अनेक परेशनियां । उनको तरक्की ना मिलना। ऐसे व्यकित के अपने पिता से सम्बंध भी ज्यादा मधुर नहीं हो पाते। उस जातक की उम्र जब 22 और 23 साल की होती है तब पिता के जीवन में अनेक प्रकार के म्रत्यु तुल्य कष्ट होते हैं। साथ ही वैचारिक मतभेद बने रहते हैं।
ऐसे व्यकित को सरकार से भी कोई लाभ नहीं मिलता बल्कि सरकार से सम्मन या नोटिस मिलते हैं। जिस कारण जातक सरकार से भी परेसान रहता है।
कारण सूर्य और राहू दोनों एक दुसरे के दुश्मन ग्रह हैं। सूर्य सात्विक और राहू देव तामसिक ग्रह हैं। साथ ही राहू का स्वभाव अलगाव वादी भी है। राहू जन्हा भी बैठें या जिसके भी साथ बैठें उस ग्रह या घर के सुखों की हानि ही करते हे
राहु के विषय में जियोतिष में एक बात प्रचलित है की जिसे राहु तारे उसे कौन मारे और जिसे राहु मारे उसे कौन तारे। कारण भी हैं क्यूंकि जब किसी व्यकित की कुंडली में राहु अच्छे हों तो अच्छे सूर्य जैसे फ़ल देते हैं। और जब राहु बुराई पर आ जाएँ तो जीते जी ही नर्क से भी बुरे हालात बना देते हैं।
राहु देव के लिए कुंडली में घर 3 और घर6 ही अच्छे कहे गए हैं। जब किसी कुंडली में राहु के साथ मंगल हों तो भी राहु काबू में रहता है।या मंगल घर 12 खुले आकाश में हों तो भी राहु बुरा नहीं कर पाता कारण राहु को हाथी और मंगल को महावत कहा जाता है। महावत हाथी को काबू में रखता है।
इसके आलावा राहु घर 4 चन्द्र के पक्के घर में भी ज्यादा बुरे नही होते किउंकि घर 4 के मालिक चन्द्र को सभी ग्रहों की माता माना जाता है ।तो राहु माँ के घर 4 में खुद तो ज्यादा बुरे नही होते पर घर 4 से सम्बंधित मन और घर की शांति भंग कर देते हैं। माँ के जीवन में किच किच का माहौल बन जाता है।माँ की फिजिक में भी परेशानी या दर्द रहता हैं।
अब में राहु अच्छे हों तो क्या सुख मिलेंगे बताता हूँ। अच्छे राहु बाला व्यकित बड़े से बड़े काम को आसानी से पूरा करता है।किसी भी फसे हुए काम को आसानी से चुटकी में ही हल कर देगा।
बोलने चालने में हाजिर जबाब होगा। अच्छा ओहदा होगा। सरकार में और सरकारी अधिकारियो से अच्छा सम्बन्ध होगा। उसकी सलाह ले के काम किया जाये तो सफलता मिलेगी। उसको घर परिवार रुपया पैसा प्रॉपर्टी के सम्बन्ध में कोई परेशानी नहीं होगी। इज्जत मान सम्मान पूरा। क्यूंकि अच्छा राहु सूर्य का ही दूसरा रूप है।
राहु बुरे हों तो कोई सुख नहीं।घर परिवार में नित नई परेशानी खड़ी रहती है। छलावा पीछा करता रहता है।अकस्मात परेशानी एक्सिडेंट होते हैं। झूठे इल्जाम लगते हैं। बीमारी पकड़ लेती है बो भी ऐसी की डॉक्टर को आसानी से पकड़ में ना आये। पढ़ाई लिखाई का फायदा नहीं मिलता। घर के बुजर्ग खुद परेशानी में और आम बच्चों को भी बुजुर्गों का सुख या उनसे पैसा प्रॉपर्टी नहीं मिलती।
इसा व्यकित खुद अपने कर्मों से अपने लिए परेशानी खड़ी करता है और अपने को समझदार भी समझता है। ऐसे व्यकित का समाज में मान सम्मान नस्ट हो जाता है।
[: जब किसी की जन्म कुंडली में सूर्य देव के साथ राहु एक ही घर में बैठ जाएँ या राहू की दृष्टि सूर्य देव के ऊपर पड़ रही हो तो सूर्य ग्रहण नाम का बुरा योग बन जाता है।
इस बुरे योग के कारण व्यकित को बहुत सी परेसानियों से दो चार होना पड़ता है।
जैसे जातक का मन किसी भी काम में लंबे समय तक नहीं लगता। इरिटेशन फीलिंग चिढ़ चिड़ा सवभाव हो जाना। कोई भी काम टिक के ना कर पाना। पढ़ाई लिखाई में मन ना लगना।
काम काज या नौकरी का बार बार बदलना।
उसके पिता को भी अपनी मेहनत का पूरा फल नहीं मिलता। पिता के जीवन काल में अनेक परेशनियां । उनको तरक्की ना मिलना। ऐसे व्यकित के अपने पिता से सम्बंध भी ज्यादा मधुर नहीं हो पाते। उस जातक की उम्र जब 22 और 23 साल की होती है तब पिता के जीवन में अनेक प्रकार के म्रत्यु तुल्य कष्ट होते हैं। साथ ही वैचारिक मतभेद बने रहते हैं।
ऐसे व्यकित को सरकार से भी कोई लाभ नहीं मिलता बल्कि सरकार से सम्मन या नोटिस मिलते हैं। जिस कारण जातक सरकार से भी परेसान रहता है।
कारण सूर्य और राहू दोनों एक दुसरे के दुश्मन ग्रह हैं। सूर्य सात्विक और राहू देव तामसिक ग्रह हैं। साथ ही राहू का स्वभाव अलगाव वादी भी है। राहू जन्हा भी बैठें या जिसके भी साथ बैठें उस ग्रह या घर के सुखों की हानि ही करते हे
सूर्य के साथ राहु का होना भी पितामह के बारे में प्रतिष्ठित होने की बात मालुम होती है,एक पुत्र की पैदायस अनैतिक रूप से भी मानी जाती है,जातक के पास कानून से विरुद्ध काम करने की इच्छायें चला करती है,पिता की मौत दुर्घटना में होती है,या किसी दवाई के रियेक्सन या शराब के कारण होती है,जातक के जन्म के समय पिता को चोट लगती है,जातक को सन्तान भी कठिनाई से मिलती है,पत्नी के अन्दर गुप चुप रूप से सन्तान को प्राप्त करने की लालसा रहती है,पिता के किसी भाई को जातक के जन्म के बाद मौत जैसी स्थिति होती है।
[ त्रो जिस जातक की जन्म कुंडली में राहू देव कुंडली के घर 2 में होते हैं। तब रुपया पैसा की कमी ससुराल से बनती नही बिगड़ जाती है परिवार छोटा होता है। मन्दिर में चढ़ाया पैसा नुकसान देता है। ईशान कोण की तरफ मुँह करके पूजा पाठ किया जाये तो बर्बाद कर देता है। और बचपन से ही गरीबी में गुजारा चल रहा होता है अगर शनि देव भी अच्छे हाल में ना हों ऐसा क्यूं होता है में आपको तर्क के साथ बताता हूँ।
तर्क पर गौर करें हमारी जन्म कुंडली में घर 2 ससुराल, धन स्थान, कुटम्ब, ईशान कोण और धर्म स्थान माना जाता है। अब दूसरी बात ध्यान से समझो घर 2 को गुरु देव ब्रह्स्पति का पक्का घर माना है। किउंकि घर दो धर्म स्थान , धन स्थान और कुटुंब स्थान माना जाता है। और इन सब सुखों पर पर ब्रह्स्पति देव का अधिकार है इस कारण घर 2 में ब्रह्स्पति अच्छा फल देते हैं और घर 2 को ब्रह्स्पति का पक्का घर माना जाता है। और घर 2 को शुक्र का भी पक्का घर माना जाता है। किउंकि काल पुरुष कुंडली के अनुसार घर दो में शुक्र की राशि पड़ती है।
इसी प्रकार से दूसरी बात भी समझें काल पुरुष कुंडली के अनुसार घर 2 में वर्षभ राशि आती है किउंकि लग्न मेष राशि का होता है। तो घर 2 वर्षभ राशि और वर्षभ राशि पर शुक्र देव का अधिकार है। इसको दुसरे तरीके से समझे घर 2 में शुक्र की जमीन पर गुरु ब्रह्स्पति का मकान ( राशि शुक्र की और पक्का घर ब्रह्स्पति का) और राहू देव बृहस्पति और शुक्र दोनों के जानी दुश्मन हैं। तो इन दोनों मतलब ब्रह्स्पति और शुक का पित्र दोष बन जाता है। इस बात को हमेशा आप सभी याद रखना दुश्मन ग्रह जब किसी घर में बैठ जाये तब ही उस घर के पक्के मालिक का पित्रदोष बनता है।
अब घर 2 के अन्य सुखों के विषय में समझें राहू घर 2 में दोनों मालिकों ब्रह्स्पति और शुक्र का जानी दुश्मन है। और पापी ग्रह भी है राक्षस प्रवर्ति भी है राहू देव की साथ ही इये भी ध्यान रखें की राहू का स्वभाव कैसा है। हकीकत में मित्रो राहू देव अलगाव बादी ग्रह है। जँहा बैठेंगे और जँहा देखेंगे बन्हा के सुखों को आग लगाने का काम करते है।
अब गौर करो कि राहू अपने स्व्भाव बस घर 2 के सुखो को आग ही लगायेगें। साथ ही गुरु ब्रह्स्पति और शुक्र के सुखों को भी आग ही लगाएंगे किउंकि राहू देव ब्रह्स्पति और शुक्र से दुश्मनी रखते हैं। दूसरी बात पर और ध्यान दें ब्रह्स्पति और शुक्र सात्विक और नरम ग्रह होने के कारण राहू जैसे पापी और तामसिक ग्रह से मुकाबला नही कर सकते। कारण भी है ज्ञानी व्यक्ति बुरे और दुराचारी व्यक्ति से दूर रहने में ही भलाई समझता है।
मित्रो यंहा पर में आप सभी को एक बात और बता दूँ की घर 2 ससुराल के सुखों का भी होता है और ससुराल का कारक ग्रह स्वम् राहू देव ही होते हैं। और राहू देव घर 2 में हों तो ससुराल से सम्बन्ध खराब करबा देते हैं। सोचो आप सभी राहू खुद ही अपने सुखों पर भी आग ही उड़ेल देते हैं क्यूं कभी आप भी सोचना जरूर यहाँ पर में बता देता हूँ पाप तत्व जी हाँ मित्रो राहू देव के स्वभाव में तामसिकता और पाप तत्व ज्यादा मात्रा में है।
इस कारण बुरा करते समय उन्हें खुद ही नही पता होता कि क्या कर रहे हैं। लेकिन सावधानी के तौर पर ससुराल से अच्छे सम्बन्ध बनाये जाएँ तो राहू देव की बुरी शरारतों से कुछ बचाव सम्भव है।
अब एक और तरीके से समझने की कोशिस करें पूजा पाठ अध्यात्म मन्दिर रुपया पैसा घर का ईशान कोण अक्सर बंहा पर मन्दिर बना होता है। हमारे परिवार के सदस्यों में बढ़ोत्तरी इये सब ब्रह्स्पति देव के गुण हैं। और जब ब्रह्स्पति खुद और उनके घरों में उनके दुश्मन ग्रह ना हों तब ही गुरु देव ब्रह्स्पति अपने सुखों को खुल के भोगने देंगे। अगर ब्रह्स्पति देव खुद ही और उनके घरों में उनके दुश्मन होंगे तो गुरु देव ब्रह्स्पति कैसे हमारे जीवन में खुशियाँ लाएंगे।
[ त्रो जिस जातक की जन्म कुंडली में राहू देव कुंडली के घर 2 में होते हैं। तब रुपया पैसा की कमी ससुराल से बनती नही बिगड़ जाती है परिवार छोटा होता है। मन्दिर में चढ़ाया पैसा नुकसान देता है। ईशान कोण की तरफ मुँह करके पूजा पाठ किया जाये तो बर्बाद कर देता है। और बचपन से ही गरीबी में गुजारा चल रहा होता है अगर शनि देव भी अच्छे हाल में ना हों ऐसा क्यूं होता है में आपको तर्क के साथ बताता हूँ।
तर्क पर गौर करें हमारी जन्म कुंडली में घर 2 ससुराल, धन स्थान, कुटम्ब, ईशान कोण और धर्म स्थान माना जाता है। अब दूसरी बात ध्यान से समझो घर 2 को गुरु देव ब्रह्स्पति का पक्का घर माना है। किउंकि घर दो धर्म स्थान , धन स्थान और कुटुंब स्थान माना जाता है। और इन सब सुखों पर पर ब्रह्स्पति देव का अधिकार है इस कारण घर 2 में ब्रह्स्पति अच्छा फल देते हैं और घर 2 को ब्रह्स्पति का पक्का घर माना जाता है। और घर 2 को शुक्र का भी पक्का घर माना जाता है। किउंकि काल पुरुष कुंडली के अनुसार घर दो में शुक्र की राशि पड़ती है।
इसी प्रकार से दूसरी बात भी समझें काल पुरुष कुंडली के अनुसार घर 2 में वर्षभ राशि आती है किउंकि लग्न मेष राशि का होता है। तो घर 2 वर्षभ राशि और वर्षभ राशि पर शुक्र देव का अधिकार है। इसको दुसरे तरीके से समझे घर 2 में शुक्र की जमीन पर गुरु ब्रह्स्पति का मकान ( राशि शुक्र की और पक्का घर ब्रह्स्पति का) और राहू देव बृहस्पति और शुक्र दोनों के जानी दुश्मन हैं। तो इन दोनों मतलब ब्रह्स्पति और शुक का पित्र दोष बन जाता है। इस बात को हमेशा आप सभी याद रखना दुश्मन ग्रह जब किसी घर में बैठ जाये तब ही उस घर के पक्के मालिक का पित्रदोष बनता है।
अब घर 2 के अन्य सुखों के विषय में समझें राहू घर 2 में दोनों मालिकों ब्रह्स्पति और शुक्र का जानी दुश्मन है। और पापी ग्रह भी है राक्षस प्रवर्ति भी है राहू देव की साथ ही इये भी ध्यान रखें की राहू का स्वभाव कैसा है। हकीकत में मित्रो राहू देव अलगाव बादी ग्रह है। जँहा बैठेंगे और जँहा देखेंगे बन्हा के सुखों को आग लगाने का काम करते है।
अब गौर करो कि राहू अपने स्व्भाव बस घर 2 के सुखो को आग ही लगायेगें। साथ ही गुरु ब्रह्स्पति और शुक्र के सुखों को भी आग ही लगाएंगे किउंकि राहू देव ब्रह्स्पति और शुक्र से दुश्मनी रखते हैं। दूसरी बात पर और ध्यान दें ब्रह्स्पति और शुक्र सात्विक और नरम ग्रह होने के कारण राहू जैसे पापी और तामसिक ग्रह से मुकाबला नही कर सकते। कारण भी है ज्ञानी व्यक्ति बुरे और दुराचारी व्यक्ति से दूर रहने में ही भलाई समझता है।
मित्रो यंहा पर में आप सभी को एक बात और बता दूँ की घर 2 ससुराल के सुखों का भी होता है और ससुराल का कारक ग्रह स्वम् राहू देव ही होते हैं। और राहू देव घर 2 में हों तो ससुराल से सम्बन्ध खराब करबा देते हैं। सोचो आप सभी राहू खुद ही अपने सुखों पर भी आग ही उड़ेल देते हैं क्यूं कभी आप भी सोचना जरूर यहाँ पर में बता देता हूँ पाप तत्व जी हाँ मित्रो राहू देव के स्वभाव में तामसिकता और पाप तत्व ज्यादा मात्रा में है।
इस कारण बुरा करते समय उन्हें खुद ही नही पता होता कि क्या कर रहे हैं। लेकिन सावधानी के तौर पर ससुराल से अच्छे सम्बन्ध बनाये जाएँ तो राहू देव की बुरी शरारतों से कुछ बचाव सम्भव है।
अब एक और तरीके से समझने की कोशिस करें पूजा पाठ अध्यात्म मन्दिर रुपया पैसा घर का ईशान कोण अक्सर बंहा पर मन्दिर बना होता है। हमारे परिवार के सदस्यों में बढ़ोत्तरी इये सब ब्रह्स्पति देव के गुण हैं। और जब ब्रह्स्पति खुद और उनके घरों में उनके दुश्मन ग्रह ना हों तब ही गुरु देव ब्रह्स्पति अपने सुखों को खुल के भोगने देंगे। अगर ब्रह्स्पति देव खुद ही और उनके घरों में उनके दुश्मन होंगे तो गुरु देव ब्रह्स्पति कैसे हमारे जीवन में खुशियाँ लाएंगे।
सूर्ये राहु ग्रहण योग संगर्ष पूर्ण योग से कैसे बहार निकले
Reviewed by Jyotish kirpa
on
04:06
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Konse time pe karna he yeh upay. Subhe ya sham. Aur konse din karna he.
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