चेत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी कामदा के नाम से प्रसिद्ध है ! शास्त्रों के अनुसार चेत्र मास के अमावस्या भारतीय संवत के अंतिम तिथि होती है तथा नवरत्रो के पश्चात नव वर्ष की यह पहली एकादशी २७ मार्च को है ! जिसका व्रत करने से मनुष्य के सभी कामनाओ की पूर्ति होती है !
कैसे करे एकदशी व्रत – किसी भी व्रत को करने से पहले उसके लिए में में पवित्रता और श्रधा का भाव अवश्य होना चाहिए तथा भगवान का व्रत करने के लिए पहले दिन प्रभु से व्रत करने के प्रार्थना करते हुए संकल्प करना चाहिए !
भगवान मनुष्य को प्रत्येक कर्म करने के लिए शक्ति देते है और संसार में जीवन के सभी कर्म भी प्रभु के कृपा से ही पुरे होते है ! भगवान अपने भक्तो की भावना से ही रीझते है , उन्हें किसी की धन दौलत , सुख और एश्वेर्य से कोई सरोकार नही है !
व्रत करने के लिए प्रातः सूर्य निकलने से पूर्व उठकर स्नान आदि क्रियाओ से निवृत होकर भगवान का धुप , दीप ,नेवैध और मौसम के फलो से पूजन करना चाहिए तथा इस व्रत में भगवान श्री कृष्ण का विधिवत पूजन किया जाता है और व्रत के पुण्यफल के प्रभाव से राक्षस योनी तो से मुक्ति मिल सकती है !
व्रत में दान श्रेष्ट एवं उत्तम कर्म है तथा रात को भगवान के मन्दिर में दीपदान और प्रभु नाम का संकीर्तन अवश्य करते हुए अपना अधिक से अधिक समय प्रभु नाम की चर्चा करने में बिताना चाहिए !
व्रत में क्या न करे – इस व्रत में किसी की निंदा – चुगली नही करनी चाहिए तथा न ही किसी के प्रति ईष्या और द्वेष का भाव रखना चाहिए ! मन में दान करते समय किसी प्रकार के कर्ता के भाव का अभिमान कभी नही करना चाहिए क्योकि भगवान को घमंड पसंद नही है !
क्या कहते है विद्वान – विद्वानों के अनुसार भगवान को एकादशी तिथि अति प्रिय है और जो भक्त नियमानुसार श्रद्धा भाव से एकादशी व्रत करते है उन पर भगवान की कृपा सदा बनी रहती है परन्तु एकादशी व्रत तब तक पूर्ण नही होती जब तक उसका दोद्शी को निश्चित समय पर अन्न अदि वस्तु खाकर पारण न किया जाये !
उनके अनुसार व्रत पारण २८ अप्रैल प्रातः ९:४२ से पहले किया जाना चाहिए ! उन्होंने कहा की एकादशी के दिन भगवान के बारे में श्रवण कीर्तन करने से अन्य दिनों की अपेक्षा करोडो गुणा अधिक पुण्यफल प्राप्त होता है !
कैसे करे एकदशी व्रत – किसी भी व्रत को करने से पहले उसके लिए में में पवित्रता और श्रधा का भाव अवश्य होना चाहिए तथा भगवान का व्रत करने के लिए पहले दिन प्रभु से व्रत करने के प्रार्थना करते हुए संकल्प करना चाहिए !
भगवान मनुष्य को प्रत्येक कर्म करने के लिए शक्ति देते है और संसार में जीवन के सभी कर्म भी प्रभु के कृपा से ही पुरे होते है ! भगवान अपने भक्तो की भावना से ही रीझते है , उन्हें किसी की धन दौलत , सुख और एश्वेर्य से कोई सरोकार नही है !
व्रत करने के लिए प्रातः सूर्य निकलने से पूर्व उठकर स्नान आदि क्रियाओ से निवृत होकर भगवान का धुप , दीप ,नेवैध और मौसम के फलो से पूजन करना चाहिए तथा इस व्रत में भगवान श्री कृष्ण का विधिवत पूजन किया जाता है और व्रत के पुण्यफल के प्रभाव से राक्षस योनी तो से मुक्ति मिल सकती है !
व्रत में दान श्रेष्ट एवं उत्तम कर्म है तथा रात को भगवान के मन्दिर में दीपदान और प्रभु नाम का संकीर्तन अवश्य करते हुए अपना अधिक से अधिक समय प्रभु नाम की चर्चा करने में बिताना चाहिए !
व्रत में क्या न करे – इस व्रत में किसी की निंदा – चुगली नही करनी चाहिए तथा न ही किसी के प्रति ईष्या और द्वेष का भाव रखना चाहिए ! मन में दान करते समय किसी प्रकार के कर्ता के भाव का अभिमान कभी नही करना चाहिए क्योकि भगवान को घमंड पसंद नही है !
क्या कहते है विद्वान – विद्वानों के अनुसार भगवान को एकादशी तिथि अति प्रिय है और जो भक्त नियमानुसार श्रद्धा भाव से एकादशी व्रत करते है उन पर भगवान की कृपा सदा बनी रहती है परन्तु एकादशी व्रत तब तक पूर्ण नही होती जब तक उसका दोद्शी को निश्चित समय पर अन्न अदि वस्तु खाकर पारण न किया जाये !
उनके अनुसार व्रत पारण २८ अप्रैल प्रातः ९:४२ से पहले किया जाना चाहिए ! उन्होंने कहा की एकादशी के दिन भगवान के बारे में श्रवण कीर्तन करने से अन्य दिनों की अपेक्षा करोडो गुणा अधिक पुण्यफल प्राप्त होता है !
आज 27 मार्च का मंगलवार है खास, हर मनोकामना पूरी करेगा ये काम
Reviewed by Jyotish kirpa
on
22:22
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