भृगु संहिता: कुडंली के लग्न के आधार पर जानें कब होगा आपका भाग्योदय

जन्मकुंडली अर्थात मनुष्य के जीवन का पूर्ण खाका होती है। कुंडली में ग्रहों की स्थिति अच्छी होना तो आवश्यक है ही, भाग्य से संबंधित ग्रहों का शुभ होना तथा उनकी दशा-महादशा का सही समय पर व्यक्ति के जीवन में आना भी उतना ही आवश्यक होता है अन्यथा कुंडली अच्छी होने पर भी यदि कार्य करने की उम्र शत्रु या नीचे ग्रहों की महादशा में ही बीत रही हो तो लाख परिश्रम के बाद भी उसका फल समय बीतने के बाद ही मिलेगा।
प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में नवम भाव को भाग्य भाव माना जाता है। इस भाव में जिस राशि का आधिपत्य होता है, उसके अनुसार भाग्योदय का वर्ष तय किया जाता है।
जैसे :मेष, लग्न हेतु नवें भाव में धनु राशि आती है। धनु राशि का स्वामी गुरु है। गुरु का भाग्योदय वर्ष 16 वर्ष माना जाता है। अर्थात व्यक्ति को पहला अवसर 16वें वर्ष में मिलेगा। इसके बाद क्रमश: 32वें, 48वें, 64वें वर्ष में परिवर्तन अवश्य आएँगे। इसके अलावा हर महादशा में गुरु का प्रत्यंतर उसके लिए शुभ फलों की प्राप्ति कराएगा। यदि गुरु शुभ स्थिति में हो तो शुभता बढ़ेगी, अशुभ होने पर गुरु का उपाय करें।
भृगु संहिता के अनुसार व्यक्ति के जीवन पर उसके भाग्य या किस्मत का बहुत गहरा प्रभाव माना जाता है। व्यक्ति के सुख-दुख, सफलता-विफलता अमीरी-गरीबी आदि सबका संबंध उसके भाग्य के साथ होता है। शास्त्रओं के अनुसार व्यक्ति को जो कुछ मिलता या जो भी उसके पास होता है वो उसे उसके भाग्य के कारण ही प्राप्त होता है।
परंतु यदि व्यक्ति पुरुषार्ष करे तो उसके द्वारा उसका भाग्य बदला भी जा सकता है। हिंदू ज्योतिष शास्त्र भृगु संहिता एक एेसा ग्रंथ है जिसमें व्यक्ति के भाग्योदय से संबंधित कई बातें बताई गई है। तो आईए जानें इसमें बताई गई कुछ महत्वपूर्ण बातें।
क्योंकि भृगु संहिता में ज्योतिष से संबंधित समस्त जानकारियां दी गई है, इसलिए इसमें कुंडली के लग्न के आधार पर बताया गया है कि व्यक्ति का भाग्योदय कब हो सकता है। भृगु संहिता के रचयिता ऋषि भृगु की ख्याति एक ऐसे कालातीत भविष्यवक्ता के रूप में है जो भूत, भविष्य और वर्तमान पर समान दृष्टि रखते थे।
वह समय की मोटी दीवार के आर-पार ऐसे देख सकते थे जैसे किसी पारदर्शी कांच में से देख रहे हों। उन्होंने प्रमाणित किया है कि कुंडली के लग्न को देखकर मालूम किया जा सकता है कि किस संभावित उम्र में व्यक्ति को भाग्य का साथ और धन का सुख मिल सकता है।
यहां जानिए किस-किस उम्र में आपका भाग्योदय हो सकता है-
1. मेष लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय सामान्यत: 16, 22, 28, 32 और 36 वर्ष की आयु में।
2. वृष लग्न की कुंडली का भाग्योदय 25, 28, 36 और 42 वर्ष की आयु में।
3. मिथुन लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 22, 32, 35, 36, 42 वर्ष की आयु में।
4. कर्क लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 16, 22, 24, 25, 28 या 32 वर्ष की आयु में।
5. सिंह लग्न की कुंडली का भाग्योदय 16, 22, 24, 26, 28 या 32 वर्ष की आयु में हो सकता है।
6. कन्या लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 16, 22, 25, 32, 33, 34 एवं 36 आयु वर्ष में।
7. जिनकी कुंडली तुला लग्न की है, उनका भाग्योदय 24, 25, 32, 33, 35 वर्ष की आयु में हो सकता है।
8. वृश्चिक लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 22, 24, 28 और 32 वर्ष की आयु में।
9. धनु लग्न की कुंडली का भाग्योदय 16, 22 या 32 वर्ष की आयु में हो सकता है।
10. इसी तरह मकर लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 25, 33, 35 या 36 वर्ष की आयु में.
11. कुंभ लग्न की कुंडली का भाग्योदय 25, 28, 36 या 42 वर्ष की आयु में.
12. मीन लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 16, 22, 28 या 33 वर्ष की आयु में हो सकता है।
वर्तमान में भृगु संहिता की जो भी प्रतियां उपलब्ध हैं वे अपूर्ण हैं। इस शास्त्र से प्रत्येक व्यक्ति की तीन जन्मों की जन्मपत्री बनाई जा सकती है। प्रत्येक जन्म का विवरण इस ग्रंथ में दिया गया है।
यहां तक कि अजन्मे शिशु का भविष्य बताने में भी यह ग्रंथ सक्षम माना गया है। भृगु संहिता ज्योतिष का एक विशाल ग्रंथ है। इसकी कुछ मूल प्रतियां आज भी सुरक्षित हैं।
ग्रहानुसार भाग्योदय के वर्ष :
सूर्य 22वें वर्ष में, चंद्र 24वें वर्ष में, मंगल 28वें वर्ष, बुध 32वें वर्ष में, गुरु 16वें वर्ष में, शुक्र 25वें वर्ष या विवाह के बाद, शनि 36वें वर्ष में
यदि नवें भाव पर राहु-केतु का प्रभाव हो तो क्रमश: 42वें व 44वें वर्ष में भाग्योदय होता है। ग्रहानुसार भाग्योदय के वर्ष जानकर यदि उन वर्षों में विशेष कार्यों की शुरुआत की जाए, तो सफलता जरूर मिलेगी। इसके साथ ही नवम भाव के स्वामी ग्रहों को शुभ व बलि रखने के उपाय करना चाहिए।
इन ग्रहों की दशा-महादशाएँ व प्रत्यंतर भी विशेष फलदायक होते हैं। अत: इन्हीं की समयावधि के अनुरूप अपनी तैयारियों की रूपरेखा बनाएँ।
नवम भाव के स्वामी ग्रह का रत्न पहनना भी अनुकूलता दे सकता है।
भृगु संहिता: कुडंली के लग्न के आधार पर जानें कब होगा आपका भाग्योदय भृगु संहिता: कुडंली के लग्न के आधार पर जानें कब होगा आपका भाग्योदय Reviewed by Jyotish kirpa on 21:09 Rating: 5

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