हस्तरेखा शास्त्र: मणिबंध रेखा और मंगल पर्वत हो ऐसा, समझिए समुद्री विदेश यात्रा पक्की

हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हथेली की रेखाएं जीवन की हरेक पहलुओं को दर्शाती है। हथेली में समुद्री यात्रा और विदेश यात्रा से संबंधित रेखाएं होती है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार मणिबंध से निकलने वाली रेखा व्यक्ति समुद्री विदेश यात्रा को दर्शाती है।

मणिबंध रेखा-मंगल पर्वत 

यदि मणिबंध से निकलकर कोई रेखा मंगल पर्वत की ओर जाए तो वह व्यक्ति जीवन में समुद्री विदेश यात्राएं करता है। मणिबंध से निकलकर चन्द्र पर्वत पर पहुँचने वाली रेखा समुद्री विदेश यात्रा के लिए बेहद शुभ मानी जाती है।
ऐसी रेखा सफल और लाभदायक यात्रा के लिए शुभ मानी जाती है। इसके अलावा चंद्र पर्वत से निकलकर जब कोई रेखा भाग्य रेखा को काटती हुई जीवन रेखा में जाकर मिल जाए तो व्यक्ति दुनियाभर के देशों की यात्रा करता है।

जीवन रेखा और चंद्र पर्वत

यदि जीवन रेखा खुद घूमकर चंद्र पर्वत पर पहुंच जाए तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति अनेक दूर के देशों की यात्राएं करता है। ऐसे व्यक्ति की मृत्यु उसके जन्म स्थान से दूर किसी अन्य देश में होती है।
साथ ही अगर चंद्र पर्वत से उठने वाली तिरछी रेखाएं चंद्र पर्वत को ही पार करती हुई भाग्य रेखा में मिल जाएं तो दूरस्थ देशों की महत्वपूर्ण और फलदायी यात्राएं होती हैं।

यदि किसी जातक के दाहिने हाथ में विदेश यात्रा की रेखाएं हों और बायें हाथ में रेखाएं नहीं हो अथवा रेखा के प्रारंभ में कोई क्रास या द्वीप हो। तो ऐसे में संबंधित व्यक्ति को विदेश यात्रा में किसी न किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न हो जाती है।
कई बार ऐसा भी होता है कि व्यक्ति उत्साहहीन होकर यात्रा को रद्द कर देता है। यदि यात्रा रेखा टूटी हुई या अस्पष्ट हो तो व्यक्ति का यात्रा योग केवल बनकर ही रह जाता है। यदि यात्रा रेखा पर क्रॉस हो तो यात्रा के दौरान दुर्घटना या अन्य किसी दुखद घटना घटित होने की पूरी आशंका रहती है।
हस्तरेखा शास्त्र: मणिबंध रेखा और मंगल पर्वत हो ऐसा, समझिए समुद्री विदेश यात्रा पक्की हस्तरेखा शास्त्र: मणिबंध रेखा और मंगल पर्वत हो ऐसा, समझिए समुद्री विदेश यात्रा पक्की Reviewed by Jyotish kirpa on 07:51 Rating: 5

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