मंगल-शुक्र की युति देगी बीमारियाँ

अंतरिक्ष में ग्रहों की जो युति वर्तमान समय में बन रही है। उसके अनुसार अज्ञात रोग एवं दैवी षड्यंत्र की उत्कृष्ट रचना हो रही है। एक क्रम में राशियाँ एवं उनके स्वामी उत्कट प्रभाव देने वाले बन गए है। जैसे शुक्र ग्रह वृषभ एवं तुला राशि का स्वामी है। मंगल मेष एवं वृश्चिक राशि का स्वामी है। शनि ग्रह मकर एवं कुंभ राशि का स्वामी है। तथा ये तीनों ही ग्रह एक साथ एक ही राशि में संचरण कर रहे है। 

इस प्रकार मेष-वृषभ, तुला-वृश्चिक एवं मकर-कुंभ क्रमशः प्रभावित हो रहे है। शुक्र ग्रह दैत्य गुरु माना गया है। जो संजीवनी विद्या या दूसरे शब्दों में गूढ़ चिकित्सा का प्रवर्तक भी माना गया है। मंगल ग्रह धरती का पुत्र माना गया है। धरती वनस्पति या दूसरे शब्दों में जडी़-बूटी की जननी कही जाती है। और सबसे ऊपर जटिल प्रक्रिया के अनुसार षड्यंत्रकारी गति के साथ कभी आगे एवं कभी पीछे चलने वाले शनि ग्रह ये तीनों ही एक साथ जुड़े हुए हैं। 

कन्या, तुला एवं लगभग वृश्चिक राशि में एक साथ चलने वाले शुक्र एवं मंगल अपरिचित एवं निदान न होने योग्य रोग उत्पन्न करेंगे। जिसका बीजारोपण लगभग जुलाई 2010 में ही इन दोनों ग्रहों के साथ शनि ने कर दिया है। दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि कन्या राशि में इस युति की शुरुआत हो रही है। अतः स्त्री जाती में अज्ञात रोगों का भय ज्यादा होगा। इसमें सबसे ज्यादा धनु एवं मीन राशि वाले विशेष कर रेवती एवं अश्विनी नक्षत्र वाले लोग ज्यादा प्रभावित होंगे। 

धनु वृत्त पर पड़ने वाले भूभाग चीन, जापान एवं दक्षिण अफ्रिका आदि देशों में न पहचान में आने वाले अनेक रोग महामारी के रूप में फैलेंगे। कारण यह है कि कुंभ एवं मेष के बीच में मीन तथा वृश्चिक एवं मकर के बीच में धनु पड़ रहे है। अतः ये दोनों ही राशियाँ विशेष रूप से प्रभावित होगी। लोमश संहिता, व्याधि वृत्त, ग्रहोंप्रवेश तथा पाराशर संहिता में इसे विशेष रूप में उल्लेखित किया गया है। 
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