राहु-केतु
राहु-केतु, ये दो ऐसे ग्रह हैं जिनका नाम किसी को भी डरा सकता है। कुंडली में बाकी ग्रह कैसे हैं...शायद इस बात की फिक्र किसी को नहीं होती लेकिन राहु-केतु का जीवन पर क्या प्रभाव होने वाला है, या वे किस तरह से जीवन को प्रभावित करेंगे ये जानने की उत्सुकता हर किसी को रहती है।
छाया ग्रह
ज्योतिष की भाषा में राहु-केतु को छाया ग्रह कहा जाता है। लेकिन असल बात यह है कि ये छाया ग्रह भी अपना शुभ-अशुभ फल देने में जरा भी देर नहीं लगाते। राहु-केतु राजयोग भी बना सकते हैं और अगर किसी जातक की कुंडली में इनकी स्थिति सही नहीं है, तो यह उसे अर्श से फर्श पर भी लेकर आ सकते हैं।
ज्योतिष के अंतर्गत राहु-केतु को शांत और उन्हें प्रसन्न रखने से बहुत से उपाय मौजूद हैं जो आपकी कुंडली के आधार पर ही उपयुक्त साबित हो सकते हैं। इस लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि लाल किताब के अंतर्गत राहु-केतु के प्रभाव और उनसे संबंधित उपायों की क्या विवेचना की गई है।
लाल किताब के अंतर्गत राहु को ‘सरस्वती’ का नाम भी दिया गया है, क्योंकि यह बुरे के साथ-साथ अच्छे विचार विचारों का भी कारक ग्रह है। यह नीले रंग का है और बुध, शनि, केतु इसके मित्र ग्रह हैं। वहीं शत्रु ग्रह में सूर्य और मंगल शामिल हैं। बृहस्पति और चंद्रमा राहु के सम ग्रह हैं।
लाल किताब की भाषा में राहु को ‘कड़कती हुई बिजली’ की संज्ञा दी गई है, जो किसी को भी जलाकर खाक कर सकती है। राहु के लिए 3,4,5,6,10 शुभ माना गया है और अगर इसकी बैठकी 1, 2, 7, 8, 9, 11 या 12 भाव में है तो यह अशुभ फल देता है।
अगर राहु की बैठकी सूर्य के साथ होती है या यह सूर्य के साथ दृष्टि संबंध बनाता है तो यह ग्रहण बना देता है। अगर राहु चंद्रमा के साथ यह संबंध बनाता है तो इसका प्रभाव कम हो जाता है।
अगर राहु की बैठकी मंगल के साथ होती है तो यह जातक को अत्याधिक कठोर दिल का बना देता है। अगर शुक्र के साथ है तो शादी में देरी के साथ-साथ यह चरित्र को भी कमजोर करता है।
लाल किताब के अनुसार अगर राहु बुध के साथ है तो यह शुभ फलदायी होता है, लेकिन बृहस्पति के साथ इसकी बैठकी अशुभ फल देने वाली होती है। अगर राहु शनि के साथ बैठा है तो यह शनि के गुलाम के तौर पर उसके अनुसरा ही कार्य करता है।
लाल किताब के अनुसार राहु को शांत या प्रसन्न करने के भी उपाय मौजूद हैं। यदि कुंडली में राहु अशुभ है तो हर बृहस्पतिवार के दिन मूली दान करें और कच्चे कोयले को चलते पानी में बहा दें।
राहु के दुष्प्रभाव को को कम करने के लिए अपने पास चांदी का टुकड़ा रखें, इसके अलावा प्रत्येक दिन सूर्ख रंग की मसूर दाल को सफाई कर्मचारियों को दान करें।
यदि आपकी कुंडली का राहु बीमारी के लिए जिम्मेदार है तो आपको मरीज के वजन के अनुसार जौं को बहते पानी में प्रवाहित करें या फिर किसी गरीब को दान करें। आपको संयुक्त परिवार में ही रहना चाहिए।
अगर आपकी कुंडली में राहु सूर्य के साथ बैठा है तो यह व्यक्ति को आर्थिक संकट में डालता है। यह उसके परिवार के लिए भी खतरनाक होता है।
राहु और केतु लगभग एक ही तरह से कार्य करते हैं। परंतु इनकी शांति के लिए अपनाए जाने वाले उपाय अलग हैं।
राहु की शांति के लिए आपको उड़द की दाल, कपड़े, सरसों, कोई काला फूल, राई, तेल, कुल्फी आदि को सामर्थ्य अनुसार गरीबों को दान करें। ऐसा करने से आपको अपने सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। शनिवार को राहु का दिन कहा गया है, इसलिए यह दान शनिवार को ही करें तो बेहतर होगा।
केतु को चितकबरा ग्रह माना गया है और इसका दिन रविवार है। केतु के मित्र राहु और चंद्र ग्रह है, लेकिन मंगल इसका शत्रु ग्रह माना गया है। सूर्य, बुध, बृहस्पति और शनि इसके सम ग्रह हैं। कुंडली का छठे भाव को केतु का अपना भाव माना गया है।
भांजा, टांगे, चारपाई, चूहा, चिड़िया, गुप्तांग, तिल, रीढ़ की हड्डी, प्याज और लहसून का संबंध केतु के साथ है।
लाल किताब की भाषा में चंद्रमा को दूध और केतु को नींबू कहा गया है, इन दोनों का आपस में कोई मेल नहीं है। चंद्रमा के साथ केतु का बैठना ग्रहण योग बनाता है। चंद्रमा को मन का कारक माना गया है और चंद्रमा के साथ केतु का बैठना मन की शांति को भंग कर देता है।
मंगल और केतु का एक ही बहव में होना दोनों को ही दुष्प्रभाव देने के लिए बाध्य करता है। इसके अलावा बुध और केतु का भी एक ही भाव में होना अशुभ होता है। लेकिन अगर केतु की बैठकी बृहस्पति के साथ है तो यह प्राय: बुरा फल कदापि नहीं देता।
केतु के लिए 1, 2, 5, 7, 10, 12 भावों जो शुभ और 3, 4, 6, 8, 9, 11 भावों को अशुभ माना गया है।
लाल किताब के अंतर्गत केतु की शांति के लिए विभिन्न उपाय भी मौजूद हैं।
लाल किताब के अनुसार अगर केतु की बैठकी लग्न में है तो आपको लोहे की गोली बनाकर उसे लाल रंग में रंगकर अपने पास रखना चाहिए।
अगर राहु की बैठकी तीसरे भाव में है तो चले की दाल को बहते पानी में प्रवाहित करने से लाभ होता है। कुंडली के चौथे भाव में राहु के होने पर किसी पुजारी को पीले रंग की वस्तुएं दान करें।
केतु अगर पांचवें भाव में है तो आपको रात के समय गाजर और मूली अपने रसिरहाने रखकर सोना चाहिए और सुबह उसे मंदिर में दान करना चाहिए।
केतु छठे भाव में मौजूद हो तो आपको 6 प्याज जमीन में दबा दें, यह घर के बाहर ही करें।
सातवां घर शुक्र का अपना घर है और केतु-शुक्र आपस में मित्र हैं। सातवें भाव में केतु का बैठना ठीकठाक फल प्रदान करता है।
आठवां घर मंगल का है और मंगल-केतु आपस में शत्रु हैं। यहां केतु का बैठना बहुत अशुभ होता है। अगर इस स्थान पर केतु है तो आपको नियमित तौर पर गणेश पूजन करना चाहिए।
केतु का बारहवें भाव में बैठना संतान पर बुरा प्रभाव डालता है। ऐसा व्यक्ति अगर कुत्तों को भी परेशान करता है तो अशुभ होता है। ऐसी स्थिति में दूध में अंगूठा डालकर चूसना अच्छा उपाय है।
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Reviewed by Jyotish kirpa
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