श्री हरि जय सिया राम ,
शनि और गोचर =
जन्म राशि से शनि देव का गोचर फल जाने तो 1,2 और 12 तो साढे साती और 4-8 शनि का डेया होता है शनि हमेसा ही साढे साती बुरा फल नही देता , वृष , मिथुन , कन्या , तुला , मकर और कुंभ लग्न वालों के लिए तो शनि राजयोग कारक भी होता है
1= 1 स्थान में शनि का गोचर हो तो जातक को मॉनशिक तनाव, आय के साधनों में कमी , शरीर को कष्ट , भाई बन्धुओ से कलह आदि हो ,
2= 2 स्थान में शनि का गोचर हो तो पारिवारिक उलझने, आय कम खर्च अधिक , आर्थिक कठिनाइया, आंखों में कष्ट और परिवार में तनाव आदि हो ,
3= 3 स्थान में गोचर हो तो , अचानक धन के अवसर प्राप्त होते है लम्बी यात्रा के अवसर प्राप्त मीले, भूमि , सवारी आदि का सुख प्राप्त हो ,
4= 4 स्थान में शनि का गोचर हो तो , ढईया होती है शरीर मे कष्ट हो , गुप्त चिंताए, भाइयो से कलह , बनते कामो में विघ्न और सुखों में कमी हो ,
5= 5 स्थान में जब शनि का गोचर हो तो जातक को वर्ष विद्या , सन्तान आदि चिंता होती है कठिनाई से गुजरे योग आय के साधन बनते है
6= 6 स्थान में जब शनि का गोचर हो गुप्त विधियों से धन प्राप्त हो , शत्रु से विजय हो , मुकदमा, विवाद आदि में सफलता प्राप्त हो , अचानक धन लाभ प्राप्त हो ,
7= 7 स्थान में शनि का गोचर हो तो , शरीर मे कष्ट , स्त्री आदि से मन मुटाव, पेट विकार , वृथा भृमण और मॉनशिक तनाव आदि हो ,
8= 8 स्थान में शनि का गोचर हो तो ढईया होती है पारिवारिक परेसानी , आय कम और खर्च अधिक, दुर्घटना आदि , चोट और शरीर कष्ट का भय , कब्ज , वायु विकार आदि असुभ हो ,
9= 9 स्थान में शनि का गोचर हो तो , भाग्य उदय में रुकावट , धन सम्बदी बनते कामो में विघ्न आदि , अचानक धन हानि , की संभावना हो , अधिक परिश्रम और लाभ अल्प हो,
10=10 स्थान में गोचर शनि हो तो , व्यवसाय मे विघ्न , वाधा , गुप्त चिताएं, आदि असुभ फल हो ,
11= 11 स्थानमे शनि का गोचर हो तो , अचानक धन लाभ हो , शेयर लाटरी , आदि में लाभ , विदेशी सम्बदों से लाभ और मित्र और बन्धुओ से सहयोग प्राप्त हो ,
12= 12 भाव मे शनि का गोचर हो उस समय मे भाग , दौड़ अधिक हो , आय कम और खर्च अधिक हो , शरीर कष्ट और घरेलू चिंताए अधिक हो , गुप्त शत्रु सक्रिय हो राम राम रवि सारस्वत
शनि और गोचर =
जन्म राशि से शनि देव का गोचर फल जाने तो 1,2 और 12 तो साढे साती और 4-8 शनि का डेया होता है शनि हमेसा ही साढे साती बुरा फल नही देता , वृष , मिथुन , कन्या , तुला , मकर और कुंभ लग्न वालों के लिए तो शनि राजयोग कारक भी होता है
1= 1 स्थान में शनि का गोचर हो तो जातक को मॉनशिक तनाव, आय के साधनों में कमी , शरीर को कष्ट , भाई बन्धुओ से कलह आदि हो ,
2= 2 स्थान में शनि का गोचर हो तो पारिवारिक उलझने, आय कम खर्च अधिक , आर्थिक कठिनाइया, आंखों में कष्ट और परिवार में तनाव आदि हो ,
3= 3 स्थान में गोचर हो तो , अचानक धन के अवसर प्राप्त होते है लम्बी यात्रा के अवसर प्राप्त मीले, भूमि , सवारी आदि का सुख प्राप्त हो ,
4= 4 स्थान में शनि का गोचर हो तो , ढईया होती है शरीर मे कष्ट हो , गुप्त चिंताए, भाइयो से कलह , बनते कामो में विघ्न और सुखों में कमी हो ,
5= 5 स्थान में जब शनि का गोचर हो तो जातक को वर्ष विद्या , सन्तान आदि चिंता होती है कठिनाई से गुजरे योग आय के साधन बनते है
6= 6 स्थान में जब शनि का गोचर हो गुप्त विधियों से धन प्राप्त हो , शत्रु से विजय हो , मुकदमा, विवाद आदि में सफलता प्राप्त हो , अचानक धन लाभ प्राप्त हो ,
7= 7 स्थान में शनि का गोचर हो तो , शरीर मे कष्ट , स्त्री आदि से मन मुटाव, पेट विकार , वृथा भृमण और मॉनशिक तनाव आदि हो ,
8= 8 स्थान में शनि का गोचर हो तो ढईया होती है पारिवारिक परेसानी , आय कम और खर्च अधिक, दुर्घटना आदि , चोट और शरीर कष्ट का भय , कब्ज , वायु विकार आदि असुभ हो ,
9= 9 स्थान में शनि का गोचर हो तो , भाग्य उदय में रुकावट , धन सम्बदी बनते कामो में विघ्न आदि , अचानक धन हानि , की संभावना हो , अधिक परिश्रम और लाभ अल्प हो,
10=10 स्थान में गोचर शनि हो तो , व्यवसाय मे विघ्न , वाधा , गुप्त चिताएं, आदि असुभ फल हो ,
11= 11 स्थानमे शनि का गोचर हो तो , अचानक धन लाभ हो , शेयर लाटरी , आदि में लाभ , विदेशी सम्बदों से लाभ और मित्र और बन्धुओ से सहयोग प्राप्त हो ,
12= 12 भाव मे शनि का गोचर हो उस समय मे भाग , दौड़ अधिक हो , आय कम और खर्च अधिक हो , शरीर कष्ट और घरेलू चिंताए अधिक हो , गुप्त शत्रु सक्रिय हो राम राम रवि सारस्वत
शनि और गोचर जन्म राशि से शनि देव का गोचर फल जाने
Reviewed by Jyotish kirpa
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