अंकों की भाषा एवं रहस्य jyotish kirpa

प्रत्येक अंक की अपनी स्वमं की शक्ति होती है। हम इस शक्ति की मात्रा की अभिव्यक्ति आकृति अथवा संकेतों के माध्यम से नहीं कर सकते। सिद्धान्त के अनुसार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष वस्तुओं में गुप्त सम्बन्ध स्थापित रहता है। प्राचीन काल में अलौकिक ज्ञान का सिद्धान्त भी दिया गया है, ‘जैसा ऊपर से वैसा ही भीतर से।’
पश्चिम देशों में अंक विज्ञान का जनक पाइथागोरस है। ऐसा सिद्ध है कि मिस्र का अंक ज्योतिष सम्बंधित ज्ञान यूरोपीय ज्ञान से प्राचीन है एवं हिन्दू अंक ज्योतिष सम्बंधित ज्ञान मिस्र के ज्ञान से भी प्राचीन है। हिन्दू अंक जयोतिषियों ने ही सर्व प्रथम ज्योतिष, अंक गणित, अंक ज्योतिष एवं नक्षत्र सम्बंधित ज्ञान की खोज की थी अर्थात हिन्दू संस्कृति सबसे प्राचीनतम है एवं उपरोक्त वर्णित समस्त ज्ञान भारत से चलकर मिस्र एवं अरब होता हुआ यूरोपीय देशों में पहुँचा था।
ग्रीक के अंक विज्ञान का जनक पाइथागोरस जो कि अंक गणित का ज्ञाता था, ने 555 बी0 सी0 में प्रसिद्धि पाई। इस वर्ष का अंक स्वयं में ही महत्तवपूर्ण है। इस वर्ष के अंक, अंक ज्योतिष अनुसार व्यक्ति में क्रान्तिकारी परिवर्तनों के सूचक है। इसका उदहारण पाइथागोरस है। अंक गणित के अं�र्गत पढ़े जाने वाली पाइथागोरस प्रमेय का जनक यही पाइथागोरस ही है एवं अंक गणित पढ़ने वाले विधार्थी इससे अनभिज्ञ नहीं हो सकते।
रहस्यमय सृष्टि विज्ञान
अंक ज्योतिष के भी गूढ़ सिद्धान्त हैं एवं अंतरिक्ष विज्ञान की भांति यह भी काफी जटिल है। आजकल के अंक ज्योतिषाचार्यों ने अंक ज्योतिष एवं वर्ष क्रम से सम्बन्धित संकेतों में सुधार कर इन्हे बहुत सरल बना दिया है। पश्चिम देशों के अंक विज्ञान के जनक के रूप में प्रसिद्द पाइथागोरस ने कहा था कि सम्पूर्ण विश्व अंकों की शक्ति पर आधारित है। आज देखा जाए तो हमें इस सच्चाई को मानना ही पड़ेगा। अब तो अंक हरे बैंक के खाते, टेलीफोन, कार, बीमे की पॉलिसी, घर के नम्बर से लेकर पासपोर्ट के नम्बर तक सभी को नियंत्रित किये हुए हैं। गर्भ से लेकर मृत्यु तक हर समय हम अंकों के प्रभाव में रहते हैं।
अंक ज्योतिष का सही ज्ञान तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब कोई व्यक्ति जीवन में घटी मुख्य घटनाओं के वर्ष अंकों पर ध्यान दें, और उन अंकों के आधार पर भूतकाल एवं वर्तमानकाल का सम्बन्ध स्थापित करे। भूतकाल और वर्तमान काल को जान लेने के पश्चात भविष्य का भी अनुमान लगाया जा सकता है।
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