एक समय की बात है। जब छुटपन में अंजनी पुत्र मारुति यानि हनुमान बहुत खाते थे। इस कारण से उनकी मां ने उन्हें किसी के भी घर खाने के लिए मना किया था।
एक बार माता अंजनि हनुमान जी को सुलाकर अपने कामों में व्यस्त हो गईं। कुछ समय बाद उनकी नींद खुली तो वे भूख से व्याकुल हो गए। आसपास उन्हें अफनी मां भी दिखाई नहीं दे रही था। भूख से परेशान हनुमान ने जब आसमान की ओर देखा तो उन्हें सूर्य देव दिखाई दिए।
हनुमान जी का उस समय प्रकृति के कई तत्वों से परिचय नहीं था। जिसका नतीजा यह हुआ कि आसमान में तपते हुए सूर्य को उन्होंने एक चमकदार लाल रंग का फल समझ कर खा लिया। जिसके बाद पृथ्वी पर चारों ओर अंधेरा हो गया।
लेकिन इसके बाद भी उनकी भूख शांत नहीं हुई। उन्होंने आसमान में मौजूद राहु का पूछा किया। राहु डर कर इंद्र के पास गया। वहां पहुंचने के बाद कहा कियह बहुत शक्तिशाली बच्चा है मुझे इससे बचाइए।
जिसके बाद इंद्र ने उन्हें अपने वज्र से मूर्छित कर दिया जिसके बाद वह आसमान से जमीं पर गिर पड़े। फिर उन्हें ब्रह्मा जी ने जीवित किया। उसके बाद उन्हें देवताओं से कई वरदान मिले।
सूर्य देव ने हनुमान जी से प्रभावित होकर उन्हें अपना गुरु बना लिया। यही कारण है कि रविवार के दिन गुरु शिष्य की इस जोड़ी की आराधना करना शुभ फल देता है। इस दिन सूर्य और हनुमान की आराधना करने वाले को राहु कभी नहीं सताता।
रविवार के दिन भी करें सूर्य और हनुमान की आराधना, नही सताएगा राहु
Reviewed by Jyotish kirpa
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